डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर धोखाधड़ी की विधि है जिसमें ठग खुद को पुलिस, CBI, ED, कस्टम्स, इनकम टैक्स, या नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी बताते हैं। इस प्रकार के ठगी में, वे फोन पर किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाते हैं और फिर पीड़ित को तुरंत वीडियो कॉल पर बात करने के लिए मजबूर करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट का नया रूप
डिजिटल अरेस्ट के ठग लोगों को गिरफ्तारी का भय दिखाकर परेशान करते हैं और इसके बाद वे झूठे आरोप लगाते हैं। उन्हें डराने के लिए वे विभिन्न प्रकार के तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न करते हैं जिससे लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।
डिजिटल अरेस्ट: धोखाधड़ी में ठगों द्वारा अपनाए जाने वाले आम तरीके
1. झूठे आरोप
ठग अक्सर पीड़ित पर गंभीर धाराओं जैसे आर्थिक धोखाधड़ी, मादक पदार्थों की तस्करी, या मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाते हैं।
2. गिरफ्तारी की धमकी
अगर पीड़ित उनकी बात नहीं मानते, तो ठग तुरंत गिरफ्तारी की धमकी देकर तनाव बढ़ाते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाता है।
3. अलगाव और डराना
वे वीडियो कॉल पर लंबे समय तक पीड़ित को रखकर उसे अन्य किसी से मदद मांगने से रोकते हैं।
4. आर्थिक मांग
ठग का मुख्य उद्देश्य पीड़ित से पैसे निकालना होता है। जमानत, कानूनी शुल्क, और अन्य बहाने बनाकर वे पैसे मांगते हैं।
5. मनोवैज्ञानिक दबाव
ठग कभी-कभी भावनात्मक रूप से पीड़ित को कमजोर करने के लिए रोने या परिवार के सदस्य का नाटक भी करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट: धोखाधड़ी में ठगों द्वारा अपनाए जाने वाले आम बहाने
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पार्सल स्कैम:ठग दावा करते हैं कि अवैध सामग्री से भरा पार्सल पकड़ा गया है और आप इसमें शामिल हैं।
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परिवार के सदस्यों की संलिप्तता:ठग यह आरोप लगाते हैं कि आपके परिवार का कोई सदस्य किसी अपराध में शामिल है।
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आधार या फ़ोन नंबर का दुरुपयोग:ठग कहते हैं कि आपका आधार या फ़ोन नंबर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है।
डिजिटल अरेस्ट से बचाव के उपाय
1. अनजान कॉल्स से सावधान रहें
अज्ञात नंबर से आए कॉल्स को न उठाएं, खासकर जब वे सरकारी अधिकारी होने का दावा करें।
2. जानकारी की पुष्टि करें
यदि आपको कानून प्रवर्तन अधिकारी बताया जा रहा है, तो संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क कर उनकी पहचान की पुष्टि करें।
3. व्यक्तिगत जानकारी न दें
बैंक खाता संख्या, क्रेडिट कार्ड की जानकारी या पासवर्ड किसी के साथ फोन या ऑनलाइन साझा न करें।
4. शांत रहें
यदि आप दबाव महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत कॉल काट दें। ठग डर और घबराहट का फायदा उठाते हैं।
5. अपनी जानकारी बढ़ाएं
नए-नए स्कैम्स के बारे में खुद को जागरूक रखें और अपने परिवार तथा दोस्तों के साथ जानकारी साझा करें।
6. घोटाले की रिपोर्ट करें
यदि आप डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार हो गए हैं, तो इसकी रिपोर्ट स्थानीय पुलिस और साइबर अपराध विभाग में दर्ज करवाएं।
ऐसे कॉल्स की रिपोर्ट नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 या पोर्टल cybercrime.gov.in पर करें। साथ ही पुलिस और अपने परिवार को भी इसकी जानकारी दें।
"डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए, किसी भी सरकारी एजेंसी का फोन पर धमकी या पैसे मांगना फर्जी हो सकता है।"
निष्कर्ष
डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर साइबर धोखाधड़ी की विधि है, जो हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में नई चुनौतियाँ पेश कर रही है। ठगों के नए तरीकों से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस प्रकार के धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की सलाह देते हैं। हमेशा याद रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर धमकी या पैसे की मांग नहीं करती। ऐसे मामलों में सतर्क रहकर आप अपने आपको और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रख सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, अगर आपको ऐसे संदिग्ध कॉल आते हैं, तो पूरी बातचीत का स्क्रीनशॉट लें और उसे रिपोर्ट करें। सही जानकारी और सतर्कता से हम इन ठगी के मामलों को बचा सकते हैं और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।