विदेशों में भारतीय छात्रों का सपना या धोखा: एजेंटों का जाल और मुश्किलें
कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना हर साल हजारों भारतीय छात्रों को घर से दूर खींचता है। इन देशों में मौजूद टोरंटो विश्वविद्यालय, मैकगिल विश्वविद्यालय, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, और अल्बर्टा विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान छात्रों को एक बेहतर करियर का अवसर प्रदान करते हैं। हालांकि, हर साल इनमें भारतीय छात्रों की संख्या कुछ सैकड़ों में ही होती है, फिर भी यह सपना पूरा करने के लिए परिवार अपनी जीवनभर की जमा-पूंजी तक दांव पर लगा देते हैं।
फर्जी ऑफर लेटर और एजेंटों, कोचिंग सेंटर, और विदेश में पढ़ाई के लिए काम करने वाली कंसल्टेंसी की धूर्तता
हाल ही में कई भारतीय छात्रों के सामने एक ऐसी स्थिति आई, जिसने उनके भविष्य को अनिश्चित बना दिया है। कनाडा और बहुत से देशो में कॉलजे में दाखिला के लिए आवेदन करते समय उन्हें बताया गया कि उनके वीजा के लिए जमा किए गए ऑफर लेटर फर्जी होते है । इन छात्रों में से कई पंजाब के मोहाली, अमृतसर और उत्तराखंड के एजेंटों और कोचिन सेण्टर के माध्यम से कनाडा पहुंचे थे। कई छात्रों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी, लेकिन वीजा जालसाजी के कारण उन्हें अपने भविष्य को लेकर दुविधा का सामना करना पड़ा।
जमीनी हकीकत: एजेंट कैसे करते हैं कोचिंग सेंटर, और विदेश में पढ़ाई के लिए काम करने वाली कंसल्टेंसी का फर्जीवाड़ा
एजेंट और कोचिन सेण्टर अक्सर खुद को विदेशी विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधि बताकर छात्रों और उनके परिवारों से संपर्क करते हैं। ये एजेंट डॉक्यूमेंट्स में हेरफेर कर फर्जी कॉलेज तैयार कर देते हैं, और इन कॉलेजों की वेबसाइट्स भी बनाते हैं, ताकि छात्रों को इस फर्जीवाड़े पर यकीन हो। इन कॉलेजों में कई बार हफ्ते में एक ही कक्षा होती है और शिक्षा का स्तर बहुत निम्न होता है। ऐसे में जो छात्र भारत में इंजीनियर बनने का सपना लेकर निकलते हैं, उन्हें वहां छोटी-मोटी नौकरियों में काम करना पड़ता है।
कनाडा से लौटे भारती राजदूत संजय वर्मा ने हाल के इंटरव्यू में कहा था "वे (छात्र) वहां उज्ज्वल भविष्य का सपना लेकर जाते हैं, लेकिन उनके शव 'बॉडी बैग' में वापस आते हैं.
आर्थिक और मानसिक दबाव
ऐसे फर्जीवाड़े के शिकार बने छात्रों के माता-पिता अक्सर अपनी जमीनें बेचकर, संपत्तियां गिरवी रखकर, या कर्ज लेकर बच्चों को विदेश भेजते हैं। ऐसे में बच्चों के पास वापस लौटने का विकल्प नहीं होता, क्योंकि पीछे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। कई छात्रों को इस परिस्थिति में आत्महत्या का भी सहारा लेना पड़ा है। पिछले 18 महीनों में कई ऐसे छात्रों ने अपने संघर्ष की कहानियाँ रिकॉर्ड कर यूट्यूब पर डाली हैं, ताकि और छात्र इनके अनुभवों से सबक लें।
भारतीय छात्रों की संख्या और आर्थिक चुनौती
अगस्त 2024 तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, करीब 13,35,878 भारतीय छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें से अकेले 4,27,000 छात्र कनाडा में और 3,37,630 छात्र अमेरिका में हैं। इसके अतिरिक्त, चीन, इजराइल, यूनान, और पाकिस्तान जैसे देशों में भी कुछ भारतीय छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन देशों में भारतीय छात्र विदेशी छात्रों की तुलना में चार गुना अधिक फीस अदा करते हैं।
राजनयिकों और विशेषज्ञों ने कई बार छात्रों को सलाह दी है कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने से पहले उन्हें अच्छे से शोध कर लेना चाहिए कि उनके चुने गए संस्थानों में उन्हें अपेक्षित सुविधाएं मिलेंगी या नहीं। लेकिन विदेशी एजेंटों द्वारा कई बार छात्रों को फर्जी और झूठे वादों के माध्यम से कनाडा और अमेरिका भेजा जाता है।
अभिभावकों के लिए सावधानी की जरूरत
विदेश में पढ़ाई का सपना देखने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों को यह समझना जरूरी है कि वे पूरी जानकारी प्राप्त करके ही सही निर्णय लें। एजेंटों के बहकावे में आकर जल्दबाजी में निर्णय न लें, बल्कि संस्थान और कोर्स का गहन शोध करें। सरकार और भारतीय दूतावासों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि छात्रों के साथ हो रहे इस फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
विदेश में उच्च शिक्षा का सपना केवल तभी साकार हो सकता है जब छात्र सही संस्थान में पढ़ाई करें और उन्हें अपने भविष्य को संवारने के अवसर मिलें, न कि एजेंटों के झूठे वादों का शिकार होकर एक अनिश्चित भविष्य का सामना करें