प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रेखा गुप्ता का जन्म 1974 में हरियाणा के जींद जिले के नंदगढ़ गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय जय भगवान जिंदल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में कार्यरत थे, जिसके चलते उनका परिवार 1976 में दिल्ली आ गया। उनकी माता उर्मिला जिंदल एक गृहिणी हैं। हालांकि, उनका परिवार आज भी हरियाणा के जुलाना में व्यवसाय से जुड़ा है।
दिल्ली में पली-बढ़ी रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने बी.कॉम, एलएलबी और एमबीए की डिग्री हासिल की है।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
रेखा गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की। उनकी नेतृत्व क्षमता जल्दी ही सामने आई और 1994-95 में वह दौलतराम कॉलेज की सचिव बनीं। इसके बाद 1995-96 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की सचिव और 1996-97 में अध्यक्ष चुनी गईं।
भाजपा में प्रवेश और बढ़ता कद
रेखा गुप्ता ने 2002 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की। उनकी मेहनत और संगठन कौशल के चलते उन्हें पार्टी की युवा शाखा में राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।
2007 में उन्हें पहली बड़ी राजनीतिक सफलता मिली, जब उन्होंने नॉर्थ पीतमपुरा से नगर निगम पार्षद का चुनाव जीता। इसके बाद वह दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) की मेयर भी रहीं, जिससे उनकी प्रशासनिक दक्षता और जनसंपर्क मजबूत हुए।
सत्ता की ओर बढ़ते कदम
हालांकि, 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2025 में उन्होंने शालीमार बाग सीट से शानदार जीत दर्ज की। उनकी इस ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा ने उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री बनने की ऐतिहासिक उपलब्धि
रेखा गुप्ता की मुख्यमंत्री पद तक की यात्रा भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धि है। वह भाजपा की ओर से दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 26 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की।
व्यक्तिगत जीवन
रेखा गुप्ता का विवाह दिल्ली के व्यवसायी मनीष गुप्ता से हुआ है। उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। परिवार और राजनीति में संतुलन बनाए रखते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त की है।
प्रेरणा का स्रोत
रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर संघर्ष और उपलब्धियों की मिसाल है। छात्र राजनीति से मुख्यमंत्री पद तक की उनकी यात्रा युवा नेताओं के लिए प्रेरणा है। उनका समर्पण, संगठन कौशल और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें भारतीय राजनीति में एक मजबूत महिला नेता के रूप में स्थापित करती है।