अतिक्रमण से योजना प्रभावित
नगर निगम द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि मुरार नदी के पुनरुद्धार के लिए आवश्यक 30-50 मीटर चौड़ाई की जगह पर कब्जा मिलना चाहिए, लेकिन कई स्थानों पर केवल 18-29 मीटर की ही उपलब्धता है। इस कमी का मुख्य कारण नदी किनारे हुए अतिक्रमण और निजी भूमि है, जिसे हटाने और अधिग्रहण करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण का सुझाव
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, नदी किनारे की भूमि का अधिग्रहण किया जाना अनिवार्य है। इसके साथ ही, अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम ने आवश्यक कदम उठाने की सिफारिश की है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य न केवल नदी को पुनर्जीवित करना है, बल्कि इसे पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से एक आदर्श स्थान बनाना है।
पिकनिक स्पॉट के रूप में होगा विकास
इस योजना के तहत मुरार नदी के किनारे हरित क्षेत्र, वॉकवे, साइकिल ट्रैक, और बैठने की व्यवस्था जैसे विकास कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा, नदी में जल स्तर बनाए रखने के लिए जड़ेरूआ बांध से पानी का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा। यह स्थान स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित होगा।
नगर निगम की कार्ययोजना
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि मुरार नदी की सफाई और विकास कार्य जल्द शुरू किए जाएंगे। भूमि अधिग्रहण और अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए प्रभावितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
नदी के किनारे बसे लोगों और अतिक्रमणकारियों ने योजना को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। हालांकि, स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने इस पहल की सराहना की है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह प्रोजेक्ट मुरार नदी को जीवनदान देगा और ग्वालियर की सुंदरता में चार चांद लगाएगा।"
अगले चरण की तैयारी
प्रशासन अब रिपोर्ट के आधार पर कार्य योजना तैयार कर रहा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मुरार नदी के पुनरुद्धार से न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि यह ग्वालियर के पर्यटन और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।
जल्द ही, ग्वालियरवासी मुरार नदी को उसके पुराने स्वरूप में देख सकेंगे। प्रशासन और स्थानीय लोगों की संयुक्त भागीदारी से यह प्रोजेक्ट एक आदर्श मिसाल बनने की दिशा में बढ़ रहा है।