परिवहन विभाग की निष्क्रियता
आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की गैरमौजूदगी के कारण बस ऑपरेटर मनमाने तरीके से नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। बिना फिटनेस और बिना परमिट के दौड़ रही ये बसें न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि सड़क हादसों की संभावना भी बढ़ा रही हैं।
छह महीने से नहीं हुई जांच
सूत्रों के अनुसार, परिवहन विभाग के अमले ने पिछले छह महीने से यात्री बसों की जांच के लिए कोई अभियान नहीं चलाया है। इस लापरवाही का फायदा बस ऑपरेटर उठा रहे हैं और सड़कों पर धड़ल्ले से अवैध रूप से बसें दौड़ रही हैं।
यात्रियों की सुरक्षा खतरे में
बिना फिटनेस प्रमाणपत्र और परमिट के संचालित बसों में सफर करना यात्रियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यात्रियों ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन से सवाल
अब सवाल उठता है कि आखिर आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस इस गंभीर लापरवाही पर कब कार्रवाई करेगी? क्या परिवहन विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाएगा या फिर अवैध बसों का संचालन यूं ही चलता रहेगा?
जनता को चाहिए कि वे इस विषय पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करें और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करें।