डॉ. मोहन यादव ने किया 100वें तानसेन समारोह का शुभारंभ: ग्वालियर बना संगीत का केंद्र
ग्वालियर, मध्य प्रदेश: भारतीय शास्त्रीय संगीत और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक 100वें तानसेन संगीत समारोह का भव्य शुभारंभ मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। यह ऐतिहासिक आयोजन तानसेन समाधि स्थल पर हुआ, जिसमें देशभर के संगीत प्रेमी और कलाकार शामिल हुए। इस अवसर पर डॉ. यादव ने ग्वालियर की सांस्कृतिक धरोहर और उत्सवधर्मिता की प्रशंसा करते हुए इसे देशभर में अद्वितीय बताया।तानसेन संगीत समारोह महान संगीतज्ञ तानसेन की स्मृति में हर साल आयोजित किया जाता है। इस साल यह समारोह अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। ग्वालियर का वातावरण इन दिनों संगीत की मधुर ध्वनियों और सांस्कृतिक गरिमा से सराबोर है।संस्कृति मंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "ग्वालियर की उत्सवधर्मिता और इसकी सांस्कृतिक परंपराएं देशभर में एक विशेष पहचान रखती हैं। तानसेन संगीत समारोह केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का माध्यम है।"
ग्वालियर में खुला भारत का पहला जियो-साइंस म्यूजियम
ग्वालियर में हाल ही में देश का पहला जियो-साइंस म्यूजियम स्थापित किया गया है। यह म्यूजियम प्राकृतिक विज्ञान और भूगर्भीय खोजों का अद्भुत संग्रह प्रस्तुत करता है, जहां डाइनोसॉर के अंडों से लेकर भूकंप के झटकों तक, हर चीज़ को वास्तविक रूप से समझा और अनुभव किया जा सकता है।म्यूजियम में दुर्लभ और प्राचीन डाइनोसॉर के अंडे और जीवाश्मों का प्रदर्शन किया गया है। यह प्रदर्शनी आपको करोड़ों साल पुराने समय में ले जाएगी, जहां आप इन जीवों के विकास और उनकी विलुप्ति की कहानी को करीब से समझ सकते हैं।इस म्यूजियम में भूकंप सिम्युलेटर के माध्यम से आप भूकंप के झटकों को महसूस कर सकते हैं। यह उपकरण न केवल अनुभवात्मक है, बल्कि आपदा प्रबंधन और जागरूकता बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका भी है।
म्यूजियम की अत्याधुनिक तकनीक जैसे 3D एनिमेशन और इंटरएक्टिव डिस्प्ले, ज्वालामुखी विस्फोट, पृथ्वी की संरचना, और भूगर्भीय घटनाओं को वर्चुअल रूप में प्रदर्शित करती है। यह विज्ञान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है
ग्वालियर में पहली गौशाला जहां होगी डेस्टिनेशन वेडिंग: वैदिक रीति-रिवाजों का अनूठा संगम
ग्वालियर, मध्य प्रदेश: देश में पहली बार ऐसा अनूठा प्रयास हुआ है, जहां एक गौशाला को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए तैयार किया गया है। ग्वालियर की यह विशेष गौशाला शादी के आयोजनों को एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयाम देती है। यहां विवाह से पहले गौवंशों को हरे चारे से भंडारा करवाने की परंपरा रखी गई है। इस पहल का उद्देश्य गौसेवा को बढ़ावा देना और वैदिक परंपराओं के साथ सामाजिक आयोजनों को जोड़ना है।
यह गौशाला केवल गौसेवा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अब यहां वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह समारोह आयोजित किए जाएंगे। इस पहल के तहत, शादी का आयोजन पूरी तरह से प्रकृति और संस्कृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए किया जाएगा। विवाह दिन के समय होगा, जहां दूल्हा-दुल्हन को गौसेवा का हिस्सा बनना अनिवार्य होगा।यहां शादी की शुरुआत गौवंशों को हरे चारे से भंडारा करवाने से होगी। शादी में आने वाले मेहमानों को गौशाला की सेवा का महत्व समझाया जाएगा और उन्हें इस विशेष आयोजन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
ग्वालियरवासियों को मिली म्यूजियम की सौगात: उपराष्ट्रपति ने संसद भवन का न्योता दिया
ग्वालियर, मध्य प्रदेश: शहरवासियों के लिए यह एक गर्व का अवसर है, क्योंकि ग्वालियर में नए म्यूजियम की सौगात दी गई है। इस भव्य उद्घाटन समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने म्यूजियम को शहर के लिए एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक संपदा बताया और साथ ही ग्वालियरवासियों को संसद भवन आने का भी न्योता दिया। समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा, "संसद भवन को देखना एक प्रेरणादायक अनुभव होगा। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप वहां जरूर आएं। आने में देरी न करें। यह एक ऐसा स्थान है, जो हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।" उपराष्ट्रपति ने कहा कि म्यूजियम शहर के युवाओं और छात्रों को ज्ञानवर्धक एक्सपोजर देगा। उन्होंने संस्थानों और संगठनों से आग्रह किया कि वे एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर काम करें ताकि छात्रों को बेहतर अवसर मिल सकें और वे राष्ट्रीय धरोहरों और सांस्कृतिक स्थलों को करीब से समझ सकें। यह म्यूजियम अपनी अद्वितीय प्रदर्शनी और संग्रहणीय वस्तुओं के लिए जाना जाएगा। इसमें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को विशेष रूप से प्रस्तुत किया गया है। म्यूजियम न केवल शहरवासियों के लिए एक नई पहचान बनेगा, बल्कि यह ग्वालियर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर भी उभारेगा।