कैसे हुई ठगी?
ठगों ने BSF इंस्पेक्टर को पहले एक फर्जी नोटिस और फिर एक डिजिटल गिरफ्तारी का झांसा दिया। उन्हें कथित तौर पर किसी अपराध में फंसाने की धमकी दी गई और ऑनलाइन प्रक्रिया के नाम पर उनसे अलग-अलग किश्तों में पैसे जमा कराए गए।
ठगी का नेटवर्क
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि ठगों ने ठगी के पैसे को कर्नाटक, औरंगाबाद और गुड़गांव के लिंक्ड अकाउंट्स में ट्रांसफर किया। तीन बैंकों के चार खातों में ठगी की रकम का 75% हिस्सा पहुंचाया गया। ये अकाउंट्स फर्जी आईडी पर खोले गए थे।
पुलिस की कार्रवाई
ग्वालियर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर क्राइम विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है। पुलिस का कहना है कि ठगों के नेटवर्क का पता लगाने के लिए सभी संबंधित स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।
BSF इंस्पेक्टर का बयान
पीड़ित इंस्पेक्टर ने बताया कि ठग बेहद पेशेवर तरीके से काम कर रहे थे। उन्होंने खुद को सरकारी एजेंसियों का प्रतिनिधि बताया और डिजिटल गिरफ्तारी की पूरी प्रक्रिया को असली दिखाने के लिए नकली दस्तावेज़ और ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल किया।
सावधानी की अपील
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान व्यक्ति से मिले कॉल, ईमेल, या डिजिटल नोटिस पर तुरंत कार्रवाई न करें। ऐसे मामलों की तुरंत पुलिस को सूचना दें।
यह मामला डिजिटल सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों को रेखांकित करता है। पुलिस जल्द ही इस गिरोह का पर्दाफाश करने की बात कह रही है।