एमपी बोर्ड 2025: कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षाओं की तारीखें घोषित
मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (MPBSE) ने कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए बोर्ड परीक्षा 2025 की समय-सारणी जारी कर दी है। परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरू होकर कक्षा 5वीं के लिए 1 मार्च और कक्षा 8वीं के लिए 5 मार्च 2025 को समाप्त होंगी।
परीक्षाएं सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक आयोजित की जाएंगी। परीक्षा का आरंभ प्रथम भाषा (हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी) के पेपर से होगा। कक्षा 5वीं की परीक्षा दूसरी भाषा के पेपर पर समाप्त होगी, जबकि कक्षा 8वीं की परीक्षा तीसरी भाषा के पेपर पर समाप्त होगी।
छात्रों को समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुंचने और अनुशासन बनाए रखने की सख्त हिदायत दी गई है। एडमिट कार्ड जल्द ही MPBSE की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। छात्रों को परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए पाठ्यक्रम पूरा करने, समय-सारणी का पालन करने और स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखने की सलाह दी गई है।
अभिभावकों और शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि वे छात्रों को तनावमुक्त और आत्मविश्वासी बनाए रखने में सहयोग करें। परीक्षाओं से संबंधित जानकारी के लिए mpbse.nic.in पर विजिट किया जा सकता है।
ढाई लाख की सुपारी लेकर हत्या: ग्वालियर पुलिस ने आरोपी को दबोचा
ग्वालियर में चार महीने से फरार चल रहे हत्या के एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस आरोपी पर अपने ही दोस्त की पत्नी की हत्या का आरोप था। मामले ने तब तूल पकड़ा जब जांच में सामने आया कि आरोपी ने महज ढाई लाख रुपए में सुपारी लेकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था।
आरोपी ने अपनी कार का इस्तेमाल करते हुए महिला को कुचल कर उसकी हत्या कर दी और इसे एक सड़क दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की। घटना के बाद से ही वह पुलिस को लगातार चकमा दे रहा था। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी पर ₹10,000 का इनाम घोषित किया था।
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी ने अपने दोस्त के साथ विश्वासघात करते हुए इस साजिश को रचा। सुपारी के बदले ढाई लाख रुपए की रकम आरोपी को दी गई थी। महिला की हत्या को दुर्घटना दिखाने के पीछे का मकसद मामले से बचना था, लेकिन पुलिस की कड़ी जांच ने आरोपी की साजिश का पर्दाफाश कर दिया।
पुलिस ने चार महीने तक गुप्त तरीके से जांच की और आरोपी की गतिविधियों पर नजर रखी। आधुनिक तकनीकों और मुखबिर की मदद से आरोपी को पकड़ने में सफलता मिली। पुलिस ने बताया कि आरोपी पहले भी कई अपराधों में शामिल रहा है।
तानसेन की तस्वीर लेकर मंच पर पहुंचे एक्टिविस्ट, आयोजकों से हुई बहस
ग्वालियर में चल रहे तानसेन समारोह के चौथे दिन एक अप्रत्याशित घटना ने सभी का ध्यान खींचा। बुधवार रात आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी मंच पर तानसेन की तस्वीर लेकर पहुंचे। उन्होंने आयोजकों पर आरोप लगाया कि जिस तानसेन के नाम पर यह भव्य समारोह आयोजित किया जा रहा है, उनकी तस्वीर या प्रतिमा मंच पर कहीं नजर नहीं आई।आशीष चतुर्वेदी ने तस्वीर लेकर मंच पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन कार्यक्रम संचालन करने वालों ने उन्हें रोक दिया। इस पर एक्टिविस्ट ने सवाल उठाए कि तानसेन जैसे महान संगीतज्ञ की उपस्थिति का प्रतीकात्मक सम्मान तक समारोह में नहीं किया गया है।आयोजकों ने सफाई देते हुए कहा कि समारोह तानसेन की स्मृति को समर्पित है और उनकी धरोहर को संगीत के माध्यम से जीवित रखा जा रहा है। तस्वीर न रखने का कोई पूर्व नियोजित उद्देश्य नहीं थाचतुर्वेदी ने कहा, “तानसेन भारतीय संगीत के स्तंभ हैं। यह उनके योगदान को अनदेखा करने जैसा है। आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि तानसेन की तस्वीर या प्रतिमा मंच पर हो।
7 साल में 22 लाख छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई: मध्यप्रदेश में शिक्षा का संकट गहराया
मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा के लिए चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। पिछले 7 वर्षों में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से 22 लाख छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी है। यह खुलासा खुद स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बुधवार को विधानसभा में किया। इस गिरावट ने राज्य में शिक्षा की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।स्कूल शिक्षा मंत्री के अनुसार, न केवल सरकारी स्कूल, बल्कि प्राइवेट स्कूल भी छात्रों की संख्या में भारी गिरावट झेल रहे हैं। पिछले 7 वर्षों में प्राइवेट स्कूलों में 9.26 लाख छात्रों की कमी आई है।गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 7 सालों में मध्यप्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा के बजट में 80% की वृद्धि की है। इसके बावजूद छात्र संख्या में गिरावट का रुझान एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह दर्शाता है कि शिक्षा तक पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर जमीन पर दिख नहीं रहा।
सरकारी स्कूलों की खराब गुणवत्ता: सुविधाओं और शिक्षकों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों की स्थिति खराब है।
महंगी निजी शिक्षा: प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस और अन्य खर्चों ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए निजी शिक्षा को मुश्किल बना दिया है।
ड्रॉपआउट दर में वृद्धि: कई बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं।
शहरी-ग्रामीण अंतर: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर अभी भी बहुत कमजोर है।
ग्वालियर के अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन में घोटाला, 8 मरीजों की आंखों की रोशनी खो गई
भिंड जिले के गोरमी थाना क्षेत्र के कृपे का पुरा गांव में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 8 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। यह ऑपरेशन ग्वालियर के कालरा अस्पताल में किया गया था, जिसके बाद मरीजों ने गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए गोरमी थाने में शिकायत दर्ज कराई है। मरीजों का कहना है कि उन्हें मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद न केवल दर्द और तकलीफ का सामना करना पड़ा, बल्कि Doctor Rohit Karla ने ऑपरेशन के बाद दवा डालने के अलावा और कोई सुझाव नहीं दिया। ऑपरेशन के कुछ ही समय बाद मरीजों को धुंधलापन महसूस हुआ, और उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई। शिकायत करने वाले मरीजों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन के बाद उचित परामर्श और दवाइयों का सही तरीका नहीं बताया। मरीजों ने यह भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान भी कोई सटीक जानकारी नहीं दी गई थी, और न ही उनकी स्थिति की सही तरह से निगरानी की गई। मरीजों की शिकायत के बाद गोरमी थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अस्पताल प्रशासन से भी रिपोर्ट मांगी है। पुलिस का कहना है कि अगर ऑपरेशन में लापरवाही पाई जाती है, तो जिम्मेदार डॉक्टरों और अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कालरा अस्पताल के अधिकारियों ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अस्पताल में सभी ऑपरेशन मानक प्रक्रिया के अनुसार किए गए थे। अस्पताल का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीजों को पूरी जानकारी दी गई थी, और किसी भी तरह की अनहोनी के लिए अस्पताल पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। मरीजों ने अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस घटना से न केवल उनका विश्वास टूट गया है, बल्कि अन्य मरीजों के लिए भी यह एक चेतावनी है। पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच तेज कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोतियाबिंद ऑपरेशन एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन किसी भी प्रकार की लापरवाही से मरीजों की आँखों की रोशनी पर गंभीर असर हो सकता है।