देवउठनी एकादशी 2024 कब है? जानें शुभ तिथि और महूर्त
महूर्त:
देवउठनी एकादशी पर क्या करें? पूजन विधि और शुभ कार्य
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है। इस दिन विष्णुजी के साथ ही तुलसी माता का भी पूजन किया जाता है। आइए जानें पूजा की विधि और क्या करना चाहिए।
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भगवान विष्णु की पूजा: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें। गंगाजल, फल, पुष्प, धूप, दीप और चंदन से विष्णुजी का पूजन करें। पीले वस्त्र और मिष्ठान का भोग लगाएं।
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तुलसी विवाह: देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन भी होता है। तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं, और उनके सामने भगवान शालिग्राम की मूर्ति रखें। तुलसी को लाल वस्त्र और आभूषण पहनाकर विवाह की सभी रस्में निभाएं।
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उपवास का पालन: इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। एकादशी का उपवास मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने का संदेश देता है।
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जप और भजन: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। भक्ति भाव से विष्णु स्तुति करें।
क्या न करें देवउठनी एकादशी पर?
देवउठनी एकादशी का व्रत पवित्रता और संयम का पालन करने का प्रतीक है। इस दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
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अनाज और चावल का सेवन न करें: एकादशी व्रत में अन्न का त्याग आवश्यक माना गया है। केवल फलाहार करें।
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क्रोध और विवाद से बचें: यह दिन भगवान की पूजा और साधना का है, इसलिए मन शांत रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
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लहसुन-प्याज और मांसाहार से दूर रहें: एकादशी के दिन सात्विक भोजन करें और भोजन में शुद्धता का ध्यान रखें।
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असत्य न बोलें और किसी का अपमान न करें: व्रत के दौरान सत्य बोलना और सदाचरण बनाए रखना चाहिए।
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु के जागरण का दिन है, जो चातुर्मास के समापन का संकेत देता है। इस दिन से विवाह और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इसे शुभ माना जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए लोग व्रत, पूजा और तुलसी विवाह करते हैं।
देवउठनी एकादशी का व्रत मनुष्य के जीवन को शुद्धता, संयम, और भक्ति से भर देता है।