अशुभ विचारों से बचें: दशहरा पर मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, ईर्ष्या या द्वेष न रखें। यह दिन सकारात्मकता और शुभता का प्रतीक है, इसलिए मन और विचारों को पवित्र रखें।
असत्य आचरण न करें: इस दिन कोई भी ऐसा कार्य न करें जो अनैतिक हो या किसी को धोखा देने वाला हो। सत्य, धर्म और न्याय का पालन करें, क्योंकि यह दिन रावण पर राम की विजय का प्रतीक है, जो असत्य और अधर्म पर सत्य की जीत को दर्शाता है।
अधूरी पूजा न करें: दशहरा के दिन देवी-देवताओं की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करें। पूजा को आधा-अधूरा छोड़ना या लापरवाही से करना शुभ नहीं माना जाता।
वृक्षों को न काटें: दशहरा के दिन किसी भी प्रकार का वृक्ष न काटें या पेड़-पौधों को हानि न पहुँचाएं। प्रकृति का सम्मान करें, क्योंकि यह दिन पर्यावरण और जीवन के संतुलन का प्रतीक है।
आलस्य और प्रमाद से बचें: दशहरा का दिन कर्म का प्रतीक है, इसलिए इस दिन आलस्य या किसी भी प्रकार की लापरवाही से दूर रहें। उत्साह और सक्रियता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें।
दूसरों की बुराई न करें: इस दिन किसी की बुराई या निंदा करने से बचें। यह समय सभी के प्रति सद्भाव और प्रेम भावना से जुड़ने का है।
महिलाओं का सम्मान करें: दशहरा का त्योहार सनातन धर्म में सत्य, धर्म और कर्म का प्रतीक माना जाता है।इस पवित्र दिन पर कभी भी बड़ों और महिलाओं का अपमान न करें, क्योंकि इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और धन की हानि हो सकती है। इसलिए इस प्रकार की गलती से बचें।
तामसिक भोजन से परहेज करे: इसके अलावा, शारदीय नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन और शराब से परहेज करना चाहिए।
दशहरा के दिन किसी से बात करते समय झूठ बोलने या कटु शब्दों का प्रयोग न करें, साथ ही किसी भी प्रकार के विवाद से बचें।
रावण की स्वार्थपूर्ण प्रवृत्तियों के कारण उसकी पूरी लंका नष्ट हो गई और कई सैनिक मारे गए, फिर भी वह तानाशाही करता रहा। इसलिए, हमें पारंपरिक और सामाजिक संस्थाओं को दबाने से बचना चाहिए