<h2>जाने लू लगने पर क्या क्या हो सकते है परिणाम </h2>
<p>नाड़ी या सांस की गति तेज हो जाती है। <br />
त्वचा पर लाल दाने हो जाते हैं <br />
बार बार पेशाब आना <br />
शरीर में जकड़न होना <br />
बुखार, <br />
त्वचा का रूखा होना, गर्म होना, नम होना, <br />
चक्कर आना, <br />
जी-मिचलाना, <br />
घबराहट होना, <br />
अधिक पसीना आना <br />
और बेहोश होना आदि।<br />
बचाव के उपाय<br />
जब भी आप घर से बाहर जाएं खुद को हाइड्रेटेड रखें। अपने साथ पानी का बोतल और छाता जरूर लेकर चलें। बहुत देर तक बाहर धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें। जितनी देर आप गर्म हवा में खुद को एक्सपोज रखेंगे, लू लगने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है। शरीर के संपर्क में गर्म हवा जितनी अधिक आएगी, उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार होंगे। <br />
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कार में जो लोग बाहर जाते हैं, उन्हें लू जल्दी नहीं लगती है। बाइक, साइकिल पर चलने वाले, ठेले पर सामान बेचने वाले, मजदूरी करने वालों को लू सबसे अधिक लगती है। ऐसे में संभव हो तो इन्हें सुबह के समय अपना काम करना चाहिए। 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें। मजबूरी है रहना, तो सावधानी और सुरक्षा के इंतजाम जरूर करें। <br />
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खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें। ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, नारियल पानी का सेवन करें। दोपहर के समय धूप और गर्म हवा तेज होती है, फिजूल घर से बाहर जाने से बचें। जो लोग कार से चलते हैं, वो पार्क की गई गाड़ी का शीशा थोड़ा सा खोलकर रखें। प्रॉपर वेंटिलेशन होने के बाद ही कार में ऐसी ऑन करें, क्योंकि बंद कार में गर्मी, तपिश बहुत होती है। अचानक कार में बैठते ही ऐसी ऑन करने से भी हीट स्ट्रोक, लू लग सकती है। <br />
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सामान्य तौर पर लू लगने पर शरीर में गर्माहट, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। लू लगने पर पसीना नहीं आता है। लू लगने पर आंखों में जलन होती है। <br />
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लू लगने के कारण अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत तक हो सकती है। रक्तचाप और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है, इसलिए बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। इस दौरान शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है। अक्सर बुखार बहुत ज्यादा 105 से 106 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन होती रहती है।</p>
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